सफेद पेठा
आजकल सफेद पेठा क मिठाई प्रत्येक शहर में उपलब्ध होती है। पेठे का जूस अनेक रोगों में रामबाण औषधि का काम करता है। सफेद पेठा लोहा, कैल्शियम, सल्फर, फासफोरस एवं विटामिन-ए, बी, सी और ई से भरपूर है। विटामिन ई तो बहुत कम फलों, सब्जियों में मिलता है। इसमें प्रोटीन भी बहुत होता है। 100 ग्राम पेठे में 34 ग्राम प्रोटीन अतः पेठा परिपूर्ण है खनिज पदार्थों, विटामिनों और प्रोटीन से, ज्यादातर फलों और सब्जियों में प्रोटीन नहीं होता है। पेठे की तासीर शीतल होती है इसलिए सर्दी जुकाम, साइनस की समस्या होने पर इसका जूस नहीं पीना चाहिए।
1. हृदय रोगियों के लिए तो यह रामबाण है। पेठे का जूस पीने से अवरुध्द धमनियां भी खुल जाती हैं और आप बाइपास व एन्जीयोप्लास्टी से भी बच सकते हैं। पेठे का जूस पीने से अग्नाशय ठीक से काम करता है। मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण औषधि है।
2. शरीर में कहीं भी जलन हो पेट में, आंतों में, छाती में, पेशाब में, हाथ पैरों में, सिर में पेठे का जूस सभी जलन शांत करता है।
3. इसी प्रकार त्वचा के रोगों में जैसे फोड़े फुन्सियों, मुहांसों में पेठे का जूस पीना अति उत्तम है।
4. यह 100 प्रतिशत क्षारीय है। रक्त के लिए श्रेष्ठ है, क्योंकि हमारा रक्त 80 प्रतिशत क्षारीय है इसके विपरीत हमारा भोजन पूर्णतया अम्लीय है। केवल फल और कच्ची सब्जियां ही क्षारीय होते हैं और उनमें भी जब नमक मिला देते हैं तो क्षारीय कम हो जाता है। अपनी क्षारीयता के कारण सी पेठे का जूस अति उत्तम है। असंख्य रोगों का कारण भोजन की अम्लता होती है। भोजन जितना अम्लीय होगा, उतने ही रोग होंगे और जितना क्षारीय होगा उतने ही हम स्वस्थ रहेंगे। रक्त में अम्लता की मात्रा केवल 20 प्रतिशत ही होनी चाहिए।
5. शरीर में किसी भी अंग में रक्तस्राव हो रहा हो जैसे नाक से नक्सीर, दांतों में खून, खूनी बवासीर, उल्टी में खून, गले से कफ में खून, अल्सर से खून आना। ऐसी स्थिति में पेठे का जूस रामबाण है। ये सभी रोग पित्त व शरीर में गर्मी बढ़ जाने से होते हैं। पित्त रोगों में पेठे का जूस रामबाण है।
6. उच्च रक्तचाप, हृदय की गति बढ़ जाना- यह रोग भी बढ़ी हुई गर्मी से होते हैं और पेठे का जूस पीने से ठीक होते हैं। उच्च रक्तचाप को तो यह जड़ से समाप्त करता है। हृदय की पीड़ा तुरन्त ठीक होती है। पेठे के रस में वे सभी गुण हैं, जो लौकी के रस में हैं।
7. मूत्र रोगों में, मूत्र प्रदाह, पथरी पित्त की थैली की पथरी, गुर्दे की पथरी, मूत्राशय की पथरी सभी में इसका जूस लाभदायक है। पथरी पिघल कर निकल जाती है। यदि किसी अंग से रक्त बह रहा हो तो पेठे के रस में आंवला अथवा नींबू का रस मिलाकर पी सकते हैं।
8. पाचन संस्थान के लिए तो यह अति उत्तम है। यकृत आमाशय, अग्नाश्य, छोटी आंत, बड़ी आंत, तिल्ली, पित्ताशय की सभी के रोग दूर से जाते हैं। फेटी लीवर बढ़ा हुआ लीवर, पीलिया भी ठीक होता है, कब्ज भी दूर होती है भोजन नली की सृजन, जलन, हृदय की जलन दूर होती है।
9. इससे मोटापा भी बहुत जब्दी कम होता है, शरीर सुडौल बनता है। फास्फोरस व कैल्शियम की प्रचुरता से हड्डियां एवं दांत मजबूत होते हैं। अस्थि क्षीणता दूर होती है। दमे के रोगी को लिए भी पेठे का जूस लाभदायक है, दमा बिल्कुल समाप्त हो जाता है।
10. विटामिन बी की प्रचुरता से भरपूर लाभ होती है। रक्त की गुणवत्ता बढ़ती है। वीर्य गाढ़ा होता है। कमजोरी दूर होती है और शरीर-बलिष्ठ बनता है। महिलाओं में मासिक स्राव अधिक हो तो पेठे का जूस पीएं (परन्तु माहवारी में नहीं) इससे श्वेत प्रदर भी ठीक होता है।
11. भोजन करने के बाद पेठे की मिठाई खाने से अम्लता, गैस दूर होती है, वैसे तो मिठाई खाने से अम्लता बढ़ती है परन्तु इसकी मिठाई खाने से अम्लता कम होती है। जिन लोगों को मिठाई खाने का बहुत शौक है वे अन्य मिठाइयां छोड़कर पेठे की मिठाई खाएं। मधुमेह के रोगी भी मिठाई पेठे को पानी से धोकर एक छोटा सा पीस खा सकते हैं। इसकी सब्जी भी बनती है। दक्षिणी भारत में इसका बहुत उपयोग होता है, इसे दाल में भी डाल सकते हैं।
12. नित्य प्रतिदिन 200-250 मि.ली. पेठे का जूस पीने से शरीर स्वस्थ रहता है। रोगों को दूर करने के लिए प्रतिदिन करीब 700 मि.ली. पेठे का जूस पिएं। जूस को घूंट-घूंट भरने के बाद जूस को मुंह में रहने दें और फिर गले में उतारें। सफेद पेठे से बनी मिठाई व उसका जूस कई बीमारियों के लिए लाभदायक, उपयोगी होकर रामबाण औषधि का कार्य करती है। सफेद पेठा लोहा, कैल्शियम, सल्फर, फासफोरस एवं विटामिन-ए, बी, सी और ई से भरपूर है। विटामिन ई तो बहुत कम फलों, सब्जियों में मिलता है। इसमें प्रोटीन भी बहुत होता है। 100 ग्राम पेठे में 34 ग्राम प्रोटीन अतः पेठा परिपूर्ण है खनिज पदार्थों, विटामिनों और प्रोटीन से, ज्यादातर फलों और सब्जियों में प्रोटीन नहीं होता है।
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