दाँतों में से खून निकलता हो तो ये हैं अचूक इलाज।
पायरिया दाँतों की एक गंभीर बीमारी है, पायरिया में मुंह से बहुत गन्दी बदबू आती हैं। इस रोग में मसूड़े पिलपिले और खराब हो जाते हैं और उनसे खून आता है। यह बीमारी स्वास्थ्य से जुड़े अनेक कारणों से होती है। आइये जाने पायरिया के लक्षण और इस बीमारी को दूर करने के घरेलु उपचार।
पायरिया के लक्षण – Payriya ke lakshan
पायरिया होने पर सांसो में तेज दुर्गंध शुरू हो जाती है।
मसूडों में सूजन होने लगती है।
दांत कमजोर होकर हिलने लगते हैं।
गर्म और ज्यादा ठंडा पानी पीने पर दांत संवेदनशील हो जाते हैं और लोग उसे बर्दास्त नही कर पाते हैं।
पायरिया होने पर मसूडों से मवाद आना शुरू हो जाता है।
मसूडों को दबाने में और छूने पर दर्द होता है।
पायरिया की शिकायत होने पर मसूडों से खून निकलने लगता है।
दो दांतों के बीच की जगह बढ जाती है, दांतों में गैप होने लगता है।
कपूर: Payriya me kapoor ka pryaog
पायरिया होने पर कपूर का एक छोटा टुकड़ा पान में रखकर खूब चबाने और लार एवं रस को बाहर निकालने से पायरिया रोग खत्म होता है। देशी घी में कपूर मिलाकर प्रतिदिन 3 से 4 बार दांत व मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलने और लार को बाहर निकालने से पायरिया रोग ठीक होता है।
सरसों का तेल: Payriya me sarson ka tel
60 मिलीलीटर सरसों के तेल में लहसुन पीसकर गर्म करके इसमें 30 ग्राम भुनी हुई अजवायन और 15 ग्राम सेंधानमक मिलाकर मंजन करें। इससे प्रतिदिन मंजन करने से दांतों के सभी रोग ठीक होते हैं। 2 से 3 महीने इसका प्रयोग करने से पायरिया ठीक होता है।
फिटकरी: Payriya me fitkari
10 ग्राम नमक और 20 ग्राम फिटकरी बारीक पीसकर मसूढ़ों पर दिन 3 बार मलने और 1 गिलास गर्म पानी में 5 ग्राम फिटकरी मिलाकर कुल्ला करने से मसूढ़े व दांत मजबूत होते हैं। इससे मसूढ़ों की सूजन, दांतों का दर्द, खून व मवाद निकलना आदि ठीक होता है।
लौंग : Payriya me Laung
5 से 6 बूंद गर्म पानी में लौंग का तेल 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर प्रतिदिन गरारे व कुल्ला करने से पायरिया रोग नष्ट होता है।
दाँतों को मजबूत बनाने के लिए * महीने में २-३ बार रात को सोते समय जरा सा नमक और सरसों का तेल मिलकर दाँतों को रगड़ दे ।
दाँतों को मजबूत बनाने के लिए * महीने में २-३ बार रात को सोते समय जरा सा नमक और सरसों का तेल मिलकर दाँतों को रगड़ दे ।
देशी गाय का गौमूत्र : Payriya me desi gay ka gau mutra
देशी गाय का गौमूत्र 3-4 बार कपड़े से छान कर कोई मुंह में भरे और अच्छी तरह कुल्ला करें फिर थूक दे … फिर भरे …ऐसा 4-5 बार करें ….फिर साफ पानी से मुंह धो लें | उस आदमी को कभी dentist के पास नहीं जाना पड़ेगा | बुढ़ापे में भी दांत मजबूत रहेंगे | चौखट नहीं लगवानी पड़ेगी |
नीबूं का रस मसूड़ों को रगड़ने से आराम होगा । Nimbu se dant aur masudo ka ilaj
दातुन और दंतमंजन – Datun aur Dantmanjan ke fayde
दांतों के लिए दातौन के अतिरिक्त दंतमंजन का भी उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए सोंठ, काली मिर्च, पीपर, हरड़, बहेड़ा, आँवला, दालचीनी, तेजपत्र तथा इलायची के समभाग चूर्ण में थोड़ा-सा सेंधा नमक तथा तिल का तेल मिलाकर ‘दंतशोधक पेस्ट’ बनायें। इससे मुख की दुर्गन्ध, मैल तथा कफ निकल जाते हैं।
त्रिफला चूर्ण – Trifla Churn ke fayde
त्रिफला चूर्ण रात को पानी में भिगो दें। सुबह छानकर इस पानी से कुल्ला करें। दाँत व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत बने रहते हैं। वृद्धावस्था में भी दाँत देर से गिरते हैं।
टूथ पेस्ट की हकीकत। Reality of Tooth Paste.
टूथ पेस्ट की हकीकत। Reality of Tooth Paste.
क्या आपके टूथ पेस्ट में चारकोल हैं, और क्या आप अब तक मुर्ख बनते आये हो और आगे भी स्वदेशी या विदेशी के नाम पर बनते आओगे तो कोई नयी बात नहीं, क्यों के हम बेवकूफ थे हैं और रहेंगे।
पहले विदेशी लोग हमको अनपढ़ और गंवार कहते थे क्यों के हम भारतवासी नमक, नीम्बू, कोयले, नीम, बबूल, शीशम या किसी पेड़ की दातुन से अपने दांत साफ़ करते थे। तब हमने क्या किया, अपनी सब चीजे फेंक कर बन गए अंग्रेज, और आज वह हम से ये पूछते हैं के क्या हमारे टूथ पेस्ट में नमक, नीम, नीम्बू या कोयला हैं।
सही में लोग कितने बेवकूफ और मुर्ख बने ये आज अहसास हुआ जब टेलीविज़न पर ऐसी ऐड आती हैं, और हम बेवकूफो को अब भी ये समझ नहीं आती।
वैसे तो हर बार खाने के बाद दांत साफ़ करने चाहिए, कई लोग दांतों को बहुत जोर लगाकर ब्रश से साफ करते हैं, जोकि गलत है। ब्रश से आपके दांत साफ़ नहीं होते अपितु घिस जाते हैं। दांतों को हमेशा दातुन या मंजन से साफ करना चाहिेये। इसमें सामान्तया नीम, बबूल, या शीशम की दातुन या कोई आयुर्वेदिक मंजन इस्तेमाल करे, इस से आपके दांत स्वस्थ और मज़बूत रहेंगे। कई गाँवो में तो अब भी कुछ लोग चूल्हे की राख से मंजन करते हैं, और उनके दांत 100 साल की उम्र में भी बिलकुल स्वस्थ हमने देखे हैं। इसका ताज़ा उदहारण विदेशी कंपनिया हैं जो अब अपना उत्पाद ये कह कर बेच रही हैं के उस में नमक, नीम, नीम्बू या चारकोल हैं, जबकि हमारे पूर्वज तो कब से इस रहस्य को जानते थे, मगर उन्होंने पहले हमको ये कह कर मुर्ख बनाया के हम लोग कोयले से नमक से, नीम से, या नीम्बू से दांत घिसते हैं, और आज झक मार कर उन्होंने इस को स्वीकार किया, मगर हमको किस पागल कुत्ते ने काटा हैं, जो हम इसको स्वीकार नहीं कर पा रहे। आज से 50 साल पहले तक ये डेंटिस्ट वगैरह नहीं थे, और थोड़ा बहुत जो ज़रूरी होता था वह गाँव का वैद ही कर दिया करता था, आज तो डेंटिस्ट ही डेंटिस्ट हैं, और देशी से विदेशी कम्पनियो के उत्पादों की भरमार हैं फिर भी ना तो हमारे दांत स्वस्थ हैं ना ही हमारे बच्चो के। तो क्या हम ऊपर से ये लिखवा के लाये हैं के हम हमेशा से बेवकूफ थे और बेवकूफ ही रहेंगे।
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