धूप अगरबत्ती

गाय को दर दर भटकने के लिए छोड़ देने वाले यदि उसके गोबर का व्यावसायिक महत्व समझ लें तो गाय की यूं बेकद्री होगी। एक गाय सिर्फ दूध ही नहीं गोबर के उत्पाद से भी 10 हजार रुपए तक का फायदा पहुंचा सकती है। गाय के गोबर से धूप-अगरबत्ती, गमले, पूजन सामग्री की थाली तरह-तरह की प्रतिमाएं बना रहे हैं।
गो-नंदी महोत्सव के जरिए लोगों में गो रक्षा की चेतना जगाने वाले भीलवाड़ा कृषि उपज मंडी सचिव विष्णुदत्त शर्मा इस तरह का एक अभिनव प्रयोग कर लोगों में गो रक्षा एवं सेवा की जागृति लाने के प्रयास में है। गाय के गोबर से तैयार होने वाले विभिन्न उत्पादों की मार्केट में डिमांड बढ़ रही है। शर्मा बताते हैं कि वे एक गाय बछड़ा पाल रहे हैं। उनके जरिए प्राप्त गोबर से उन्होंने मूर्तियां, गमले, पूज की थालियां तैयार करवाई है। इसके लिए वे जगह-जगह प्रशिक्षण शिविर लगाकर भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

धूप अगरबत्ती : एक गाय के दिनभर में जमा होने वाले आठ से दस किलो गोबर में पांच किलोग्राम लकड़ी का बुरादा, आधा किलोग्राम बाजार में मिलने वाला चंदन पाउडर, आधा लीटर नीम का रस, 10 टिकिया कर्पूर, 250 ग्राम सरसों जौ का आटा तथा 250 ग्राम गौमूत्र (तीन बार उबाला हुआ) मिक्स कर लें। इंजेक्शन की सीरिंज को आगे से काटकर उसके जरिए गोबर एवं मिश्रण को इसके सांचे से निकालकर धूप बत्ती अगरबत्ती तैयार की जा सकती है। रोज की 500 पीस बत्ती तैयार कर बाजार में बेची जा सकती है।

ईकोफ्रेंडली मूर्ति : गाय के गोबर में लक्ष्मी का निवास है, ऐसी हमारी धार्मिक मान्यता है। गाय के गोबर से ही निर्मित लक्ष्मी प्रतिमा का पूजन श्रेष्ठ होता है। बाजार में मिलने वाले मूर्तियों के सांचे में गोबर को सुखाकर तैयार किया एक-डेढ़ किग्रा बुरादा, आधा किलो मैदा लकड़ी, सौ ग्राम फेवीकोल मिक्स कर डाल उसमें भरकर चार-पांच दिन रखा जाए तो एक 15 इंच की मूर्ति डेढ़ सौ रुपए तक में तैयार हो जाएगी। ऐसी मूर्तियों की भी मार्केट में डिमांड हो रही है।

गमला: गाय के गोबर को सुखाकर उसकी पिसाई कर बुरादा तैयार कर मूर्ति गमला आदि बनाए जा सकते हैं। एक किलोग्राम गोबर के बुरादे से तैयार होने वाली मूर्तियों गमलों की मार्केट वैल्यू भी अच्छी है। कानपुर गोशाला में तैयार होने वाले ये उत्पादन बड़े स्तर पर खरीदे जाते हैं। आठ किलो गोबर काे सुखाने से करीब डेढ़-दो किलोग्राम तक का बुरादा तैयार हो सकता है। इसमें 250 से 300 ग्राम मैदा लकड़ी पाउडर, 150 ग्राम फेविकोल मिलाकर गमले के शेप के जरिए उसे आकार दिया जा सकता है। इस तरह के गमले आकर्षक लगते हैं जिन्हें बाजार में अच्छा रेस्पोंस मिल सकता है।

गलियों में घूम रही गाय के पास डेंगू का समाधान
शर्मा बताते हैं कि चरक संहिता में चिकित्सा भाग में गाय के गोबर से निर्मित धूप बत्ती का महत्व बताया गया है। इसी आधार पर हमने इसकी बत्तियां बनवाई है जो मच्छर भगाने के साथ साथ रोगी को ज्वर मुक्त करने में भी समर्थ है। गृहणियां अपने घर पर यह उत्पाद तैयार कर सकती है।

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