अल्सर/आंतो में घाव होना : आयुर्वेदिक उपचार
अल्सरेटिव कोलाइटिस बड़ी आंत का रोग हैं, जिसमे बड़ी आंत में घाव, सूजन, या छाले हो जाते हैं। इन छालो में मवाद भर जाती हैं, मल बहुत चिपचिपा आता हैं और इस से बहुत ही गन्दी बदबू आती हैं। शौच करते समय असहनीय पीड़ा होती हैं, कुछ भी खाते पीते हैं तो दस्त लग जाते हैं, पेट में रह रह कर मरोड़ उठती हैं, शौच में पस और खून आता हैं। इस बीमारी में पेट में इतना असहनीय दर्द होता है कि आदमी बुरी तरह छटपटाने और चीखने-चिल्लाने लगता हैं। रोगी को ऐसा लगता हैं के अब अंतिम समय आ गया है। और इसका सही समय पर इलाज ना होने से ये बीमारी पेट के कैंसर का रूप धारण कर लेती हैं।
हमारे शरीर की अपनी एक प्रतिरक्षा प्रणाली हैं, जो इसको बाहरी खतरों से बीमारियो से बचाती हैं। जिसको हम इम्यून सिस्टम कहते हैं। मगर हम खुद ही अपने शरीर के दुश्मन बन जाते हैं, जब हम अपने इस अमृत रुपी शरीर को गंदगी से भर देते हैं। जैसे फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय, कॉफ़ी, मैदे से बानी हुयी वस्तुए, शराब, मांस, मछली, धूम्रपान, ये सब बुरी आदते हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। अधिक तला हुआ, मसाले वाला, या अधिक पित्त प्रकृति का भोजन करने से इस रोग की उत्पत्ति होती हैं। ये तम्बाकू, शराब, और कैफीन वाले पदार्थ सेवन करने से जल्दी होता हैं। ऐसे रोगियों को गुस्सा और घृणा नहीं करनी चाहिए, इस से शरीर में बहुत गर्मी पैदा होती हैं। इस में आंते बहुत कमज़ोर हो जाती हैं, इसलिए भोजन जितना चबा चबा कर खा सकते हो उतना चबा कर खाए
आधुनिक चिकित्सा में इसको तीन प्रकार से परिभाषित किया गया हैं।
1. Proctitis
2. Left side Colitis
3. Pancolitis
अगर ये सिर्फ मलद्वार को प्रभावित करता हैं तो इसको मलाशय (proctitis) कहते हैं, और जब आंतो का बायां भाग प्रभावित होता हैं तो इसको लेफ्ट साइडेड कोलाइटिस (left side colitis) कहा जाता हैं, और जब पूरी बड़ी आंत इस से प्रभावित होती हैं तो इसको पंकोलिटिस (pancolitis) कहते हैं।
1. Proctitis
2. Left side Colitis
3. Pancolitis
अगर ये सिर्फ मलद्वार को प्रभावित करता हैं तो इसको मलाशय (proctitis) कहते हैं, और जब आंतो का बायां भाग प्रभावित होता हैं तो इसको लेफ्ट साइडेड कोलाइटिस (left side colitis) कहा जाता हैं, और जब पूरी बड़ी आंत इस से प्रभावित होती हैं तो इसको पंकोलिटिस (pancolitis) कहते हैं।
कोलाइटिस वालो को 3 चीजे तुरंत बंद कर देनी चाहिए दूध, घी और मीठा। ये तीनो उनके लिए ज़हर के समान हैं।
अनार :-
अनार के दाने लीजिये, अगर दाने ज़्यादा कठोर हो तो उसको चबा कर फिर इसके बीज फ़ेंक दे, नहीं तो नर्म दाने हो तो इसको चबा चबा कर खा ले। ध्यान रखे अनार का जूस नहीं पीना हैं, जितनी देर तक हो सके अनार के दानो को मुंह में चबाओ और फिर खाओ। कोलाइटिस वालो को कुछ पचता नहीं, तो शुरू शुरू में २ चम्मच, ४ चम्मच शुरू करे, फिर धीरे धीरे आधी कटोरी तक खाए। अनार आप कभी भी खा सकते हैं, खाली पेट भी खा सकते हैं, भोजन के बाद भी, किसी भी समय अनार खा सकते हैं।
अनार के दाने लीजिये, अगर दाने ज़्यादा कठोर हो तो उसको चबा कर फिर इसके बीज फ़ेंक दे, नहीं तो नर्म दाने हो तो इसको चबा चबा कर खा ले। ध्यान रखे अनार का जूस नहीं पीना हैं, जितनी देर तक हो सके अनार के दानो को मुंह में चबाओ और फिर खाओ। कोलाइटिस वालो को कुछ पचता नहीं, तो शुरू शुरू में २ चम्मच, ४ चम्मच शुरू करे, फिर धीरे धीरे आधी कटोरी तक खाए। अनार आप कभी भी खा सकते हैं, खाली पेट भी खा सकते हैं, भोजन के बाद भी, किसी भी समय अनार खा सकते हैं।
बेल :-
बेल जो शिव पर चढ़ाते हैं, ये बहुत अच्छी औषिधि हैं, कोलाइटिस के लिए, बेल के कच्चे फल को लीजिये, इसको बीच में काट कर इसको सुखा लीजिये, फिर इसको कूट कर चूर्ण कर लीजिये, ये लाल रंग का हो जायेगा। मगर ध्यान रहे इस में कीड़े बहुत जल्दी पड़ जाते हैं। इसलिए जितना इस्तेमाल हो सके उतना ही चूर्ण करे, बाकी सुखा कर रखे ले। इस चूर्ण को छाछ तक्र के साथ पिए। छाछ तक्र अपने आप में कोलाइटिस की बहुत बढ़िया औषिधि हैं।
बेल जो शिव पर चढ़ाते हैं, ये बहुत अच्छी औषिधि हैं, कोलाइटिस के लिए, बेल के कच्चे फल को लीजिये, इसको बीच में काट कर इसको सुखा लीजिये, फिर इसको कूट कर चूर्ण कर लीजिये, ये लाल रंग का हो जायेगा। मगर ध्यान रहे इस में कीड़े बहुत जल्दी पड़ जाते हैं। इसलिए जितना इस्तेमाल हो सके उतना ही चूर्ण करे, बाकी सुखा कर रखे ले। इस चूर्ण को छाछ तक्र के साथ पिए। छाछ तक्र अपने आप में कोलाइटिस की बहुत बढ़िया औषिधि हैं।
छाछ तक्र :-
छाछ तक्र इस रोग में बहुत ही गुणकारी हैं। हर रोज़ एक गिलास से ले कर ४ गिलास तक पीना प्रारम्भ करे। अगर रोग बहुत ही भयंकर अवस्था में पहुँच गया है तो रोगी को सप्ताह में एक दिन सिर्फ छाछ तक्र पर ही निकालना चाहिए, इस दिन उसको कुछ भी नहीं खाना, जब भी भूख लगे तो सिर्फ इसको ही पिए।
छाछ तक्र इस रोग में बहुत ही गुणकारी हैं। हर रोज़ एक गिलास से ले कर ४ गिलास तक पीना प्रारम्भ करे। अगर रोग बहुत ही भयंकर अवस्था में पहुँच गया है तो रोगी को सप्ताह में एक दिन सिर्फ छाछ तक्र पर ही निकालना चाहिए, इस दिन उसको कुछ भी नहीं खाना, जब भी भूख लगे तो सिर्फ इसको ही पिए।
छाछ तक्र बनाने की विधि :: दही में एक चौथाई पानी मिलाकर अच्छी तरह से मथ लर मकखन निकालने के बाद जो बचता है उसे तक्र कहते है, तक्र शरीर में जमें मैल को बाहर निकालकर वीर्य बनाने का काम करता है, ये कफ़ नाशक है
अलसी :-
अलसी के नित्य सेवन करने से इस रोग में आश्चर्य जनक सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। छाछ के साथ इसका एक चम्मच चूर्ण नित्य सेवन करे। ध्यान रहे अलसी को चूर्ण करने के बाद इसके गुण कम हो जाते हैं। चूर्ण करने के बाद इसको १० दिन के अंदर इस्तेमाल कर लेना चाहिए, अन्यथा इसके गुणों में बहुत कमी आती हैं।
अलसी के नित्य सेवन करने से इस रोग में आश्चर्य जनक सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। छाछ के साथ इसका एक चम्मच चूर्ण नित्य सेवन करे। ध्यान रहे अलसी को चूर्ण करने के बाद इसके गुण कम हो जाते हैं। चूर्ण करने के बाद इसको १० दिन के अंदर इस्तेमाल कर लेना चाहिए, अन्यथा इसके गुणों में बहुत कमी आती हैं।
अल्फाल्फा :-
अल्फाल्फा (रिजका, जो अक्सर गाँवों में लोग अपने जानवरो के चारे के लिए इस्तेमाल करते हैं, आज वैज्ञानिको ने इसको सुपर फ़ूड माना हैं ) अल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं हैं।
अल्फाल्फा (रिजका, जो अक्सर गाँवों में लोग अपने जानवरो के चारे के लिए इस्तेमाल करते हैं, आज वैज्ञानिको ने इसको सुपर फ़ूड माना हैं ) अल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं हैं।
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