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Showing posts from July, 2017

धूप अगरबत्ती

गाय को दर दर भटकने के लिए छोड़ देने वाले यदि उसके गोबर का व्यावसायिक महत्व समझ लें तो गाय की यूं बेकद्री होगी। एक गाय सिर्फ दूध ही नहीं गोबर के उत्पाद से भी 10 हजार रुपए तक का फायदा पहुंचा सकती है। गाय के गोबर से धूप-अगरबत्ती, गमले, पूजन सामग्री की थाली तरह-तरह की प्रतिमाएं बना रहे हैं। गो-नंदी महोत्सव के जरिए लोगों में गो रक्षा की चेतना जगाने वाले भीलवाड़ा कृषि उपज मंडी सचिव विष्णुदत्त शर्मा इस तरह का एक अभिनव प्रयोग कर लोगों में गो रक्षा एवं सेवा की जागृति लाने के प्रयास में है। गाय के गोबर से तैयार होने वाले विभिन्न उत्पादों की मार्केट में डिमांड बढ़ रही है। शर्मा बताते हैं कि वे एक गाय बछड़ा पाल रहे हैं। उनके जरिए प्राप्त गोबर से उन्होंने मूर्तियां, गमले, पूज की थालियां तैयार करवाई है। इसके लिए वे जगह-जगह प्रशिक्षण शिविर लगाकर भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। धूप अगरबत्ती :  एक गाय के दिनभर में जमा होने वाले आठ से दस किलो गोबर में पांच किलोग्राम लकड़ी का बुरादा, आधा किलोग्राम बाजार में मिलने वाला चंदन पाउडर, आधा लीटर नीम का रस, 10 टिकिया कर्पूर, 250 ग्राम सरसों जौ का आटा त...

महर्षि पाणिनि हैं कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के जनक । 500 ई पू एक पूरा ग्रन्थ लिखा था,पढ़ें पूरा लेख ।

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आज की कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषाएँ जैसे C, C++, Java आदि में प्रोग्रामिंग हाई लेवल लैंग्वेज (high level language) में लिखे जाते है जो अंग्रेजी के सामान ही होती है | इसे कंप्यूटर की गणना सम्बन्धी व्याख्या (theory of computation) जिसमे प्रोग्रामिंग के syntex आदि का वर्णन होता है, के द्वारा लो लेवल लैंग्वेज (low level language) जो विशेष प्रकार का कोड होता है जिसे mnemonic कहा जाता है जैसे जोड़ के लिए ADD, गुना के लिए MUL आदि में परिवर्तित किये जाते है | तथा इस प्रकार प्राप्त कोड को प्रोसेसर द्वारा द्विआधारी भाषा (binary language: 0101) में परिवर्तित कर क्रियान्वित किया जाता है | इस प्रकार पूरा कंप्यूटर जगत Theory of Computation पर निर्भर करता है | इसी Computation पर महर्षि पाणिनि (लगभग 500 ई पू) ने एक पूरा ग्रन्थ लिखा था महर्षि पाणिनि संस्कृत भाषा के सबसे बड़े व्याकरण विज्ञानी थे | इनका जन्म उत्तर पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था। कई इतिहासकार इन्हें महर्षि पिंगल का बड़ा भाई मानते है | इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है जिसमें आठ अध्याय और लगभग चार सहस्र सूत्र हैं। संस्कृत भाषा को...

गर्भ निरोधक गोलियों के पीछे का पूरा खेल और सत्य माताएँ-बहने जरूर पढ़ें । Rajiv Dixit

मित्रो कई विदेशी कंपनियाँ हमारे देश की माताओ ,बहनो को गर्भ निरोधक उपाय बेचती हैं !(Contraceptive) कुछ तो गोलियों (pills) के रूप मे बेचे जाते हैं ! और इसके इलवा इनके अलग अलग नाम हैं ! जैसे norplant,depo provera, I pill है एक E pill है ! ऐसे करके कुछ और अलग अलग नामो से हमारे देश की माताओ ,बहनो को ये Contraceptive बेचे जाते है ! और आपको ये जानकर बहुत दुख होगा जिन देशो की ये कंपनियाँ है ! ये सब वो अपने देश की माताओं बहनो को नहीं बेचती है ! लेकिन भारत मे लाकर बेच रही हैं ! जैसे ये depo provera नाम की तकनीक इनहोने विकसित की है गर्भ निरोधन के लिए !! ये अमेरिका की एक कंपनी ने विकसित किया है कंपनी का नाम है आबजोन ! इस कंपनी को अमेरिका सरकार ने ban किया हुआ है की ये depo provera नाम की तकनीक को अमेरिका मे नहीं बेच सकती ! तो कंपनी ने वहाँ नहीं बेचा ! और अब इसका उत्पादन कर भारत ले आए और भारत सरकार से इनहोने agreement कर लिया और अब ये धड़ले ले भारत मे बेच रहे हैं ! ये injection के रूप मे भारत की माताओ बहनो को दिया जा रहा है और भारत के बड़े बड़े अस्पतालो के डाक्टर इस injection को माताओं बहनो ...

सोयाबीन के बारें मे ये बातें जरूर जान लें । बहुत महत्वपूर्ण जानकारी । जरूर पढ़ें !

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मित्रो आज से 40-45 वर्ष पहले भारत मे कोई सोयाबीन नहीं खाता था ! फिर इसकी खेती भारत मे कैसे होनी शुरू हुई ?? ये जानने से पहलों आपको मनमोहन सिंह द्वारा किए गए एक समझोते के बारे मे जानना पड़ेगा ! मित्रो इस देश मे 1991 के दौर मे globalization के नाम पर ऐसे-ऐसे समझोते हुये कि आप चोंक जाएंगे ! एक समझोते के कहानी पढ़ें बाकि विडियो में है ! तो समझौता ये था कि एक देश उसका नाम है होललैंड वहां के सुअरों का गोबर (टट्टी) वो भी 1 करोड़ टन भारत लाया जायेगा ! और डंप किया जायेगा ! ऐसा समझोता मनमोहन सिंह ने एक बार किया था ! जब मनमोहन सिंह को पूछ गया के यह समझोता क्यूँ किया ???? तब मनमोहन सिंह ने कहा होललैंड के सुअरों का गोबर (टट्टी) quality में बहुत बढ़िया है ! फिर पूछा गया कि अच्छा ये बताये की quality में कैसे बढ़िया है ??? तो मनमोहन सिंह ने कहा कि होललैंड के सूअर सोयाबीन खाते है इस लिए बढ़िया है !! मित्रो जैसे भारत में हम लोग गाय को पालते है ऐसे ही हालेंड के लोग सूअर पालते है वहां बड़े बड़े रेंच होते है सुअरों कि लिए ! लेकिन वहाँ सूअर मांस के लिए पाला जाता है ! सूअर जितना सोयाबीन खाएगा उत...

Pizza और चाकलेट खाने वालों थोड़ी भी दया बची हो तो ये पढ़ लेना । Share करना मन भूले ।

REALITY OF PIZZA AND CHOCOLATE ================ पिज्ज़ा और चाकलेट मे डाला जाने वाला एक पदार्थ RENNET यानि की एक प्रकार का enzyme जिसे हम हिन्दी में जामन भी कहते है। ये enzyme एक नवजात या यूं कहे जिस गाय के बछड़े ने अभी कुछ समय पहले ही इस दुनिया में जन्म लिया है उसके पेट के चौथे हिस्से में जुगाली करने से बनता है। इसके अतिरिक्त ये कुछ और जानवरो को बच्चो जैसे की बकरी और भेड़ के। पेट के चौथे हिस्से में मिलने वाला RENNET बहुत सारे enzymes से मिल कर बना होता है, जो इन्हे माँ का दूध पचाने में मदद करता है। RENNET enzyme PIZZA के cheese को तैयार करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। और यह हमें सिर्फ एक ही सूरत में प्राप्त हो सकता है, या तो हम जुगाली करें या उस गाय के बछड़े को मार कर उसके पेट को काट कर उसमे से उस enzyme RENNET को निकाला जाए। ये सब मांस के उत्पादन का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। कभी कभार RENNET की मात्रा कम होती है और उसके साथ साथ PEPSIN होता है जो की प्रचुर मात्रा में होता है, जो की सिर्फ खास प्रकार के दूध (चाकलेट मे प्रयोग होने वाला )या पनीर (PIZZA CHEESE) बनाने के ही काम आता है। प्रत्...

आखिर आपके पेट मे हो क्या रहा है ?? भोजन पच रहा है या सड़ रहा है ? जरूर पढ़ें Rajiv Dixit

मित्रो हमारा जो शरीर है शरीर का पूरा केंद्र है हमारा पेट|ये पूरा शरीर चलता है पेट की ताकत से और पेट चलता है भोजन की ताकत से|जो कुछ भी हम खाते है वो ही हमारे पेट की ताकत है |हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने रोटी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी कुछ भी दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है | आप कुछ भी खाते है पेट उसके लिए उर्जा का आधार बनता है |अब हम खाते है तो पेट मे सब कुछ जाता है|पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है अमाशय|उसी स्थान का संस्कृत नाम है जठर|उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है epigastrium |ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है ये |बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है| अब अमाशय मे क्या होता है खाना जैसे ही पहुँचता है तो यह भगवान की बनाई हुई व्यवस्था है जो शरीर मे है की तुरंत इसमें आग(अग्नि) जल जाती है |आमाशय मे अग्नि प्रद...

मात्र 2 मिनट के लिए पढ़ें । कैप्सूल कैसे बनाये जाते है जानकर दंग रह जाएंगे ! Rajiv Dixit

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मित्रो आयुर्वेद को छोड़ कर जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां है उनमे बनने वाली ओषधियों मे बहुत अधिक मांसाहार का प्रयोग होता है ,आप जितनी भी एलोपैथी ओषधियाँ लेते है उन मे जो कैप्सूल होते है वो सब के सब मांसाहारी होते हैं । दरअसल कैप्सूल के ऊपर जो कवर होता है उसके अंदर ओषधि भरी जाती है वो कवर प्लास्टिक का नहीं होता आपको देखने मे जरूर लगेगा कि ये प्लास्टिक है लेकिन वो प्लास्टिक का नहीं है क्योंकि अगर ये प्लास्टिक का होगा तो आप उसको खाओगे तो अंदर जाकर घुलेगा ही नहीं ,क्योंकि प्लास्टिक 400 वर्ष तक घुलता नहीं है वो कैप्सूल ऐसे का ऐसे सुबह टॉइलेट के रास्ते बाहर आ जाएगा । तो मित्रो ये जो कैप्सूल के खाली कवर जिस कैमिकल से बनाये जाते है उसका नाम है gelatin (जिलेटिन ) । जिलेटिन से ये सब के सब कैप्सूल के कवर बनाये जाते है ,और जिलेटिन के बारे मे आप सब जानते है और बहुत बार आपने मेनका गांधी के मुंह से भी सुना होगा की जब गाय के बछड़े या गाय को कत्ल किया जाता है उसके बाद उसके पेट की बड़ी आंत से जिलेटिन बनाई जाती है तो ये सब के सब कैप्सूल मांसाहारी होते है । आप चाहे तो मेरी बात पर विश्वास ना करें आप go...

इन बर्तनो में छुपा सेहत का खजाना

सेहतमंद खाना पकाने के लिए आप तेल-मसालों पर तो पूरा ध्यान देते  हैं, पर क्या आप खाना पकाने के लिए बर्तनों के चुनाव पर भी ध्यान देते हैं? अगर आपका जवाब न है तो आज से ही इस बात पर भी ध्यान देना शुरू कर दें। बर्तन कैसे आपको सेहतमंद बना सकते हैं,  आज हम आप को बताते हैं . खाना पौष्टिक और सेहतमंद हो इसके लिए हम न जाने कितने जतन करते हैं। कम तेल इस्तेमाल से लेकर सब्जियों और दालों को सफाई से धोना, आटा साफ हाथ से गुनना, घर और किचन में साफ-सफाई का खास ख्याल रखना, भोजन की गुणवत्ता, ताजापन, सही मसालों का उपयोग और भी बहुत कुछ हमारी आदत में शुमार हो चुका है। लेकिन एक अहम चीज हम अकसर भूल जाते हैं और वह है हमारे बर्तन। जी हां, भोजन की पौष्टिकता में यह बात भी मायने रखती है कि आखिर उन्हें किस बर्तन में बनाया जा रहा है। आपको शायद मालूम न हो, लेकिन आप जिस धातु के बर्तन में खाना पकाते हैं उसके गुण भोजन में स्वत: ही आ जाते हैं। डाइटीशियन ईशी खोसला के मुताबिक भोजन पकाते समय बर्तनों का मैटीरियल भी खाने के साथ मिक्स हो जाता है। एल्यूमीनियम, तांबा, लोहा, स्टेनलेस स्टील और टेफलोन बर्तन में इस्तेमाल...

रोगों से बचाव के लिए रामबाण है घर पे बनी ये एंटीबैक्टीरियल ड्रिंक.!!

आज कल मौसम अक्सर  बदलता रहता है कभी बारिश कभी गर्मी । बदलते हुए मौसम में बीमारी फैलाने वाली वायरस और बैक्टेरिया भी सक्रिय हो जाते हैं और ऐसे में सर्दी ,जुखाम, बुखार जैसी बीमारियाँ होना आम बात है । खास तौर से बारिश के मौसम में।ऐसे में ज़रूरी है इन बिमारिओं से बचने के लिए अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना | अगर आप सही खुराक ले रहे हैं तो आपका इम्युनिटी सिस्टम भी मज़बूत होगा और  छोटी मोटी परेशानियां खुद ब खद ठीक हो जाएगी। हमारे घरों में बहुत से ऐसे पदार्थ होते हैं जिनके इस्तेमाल से हम खुद को इन छोटी छोटी बीमारियो से बचा सकते हैं । इसलिए आपको भी मौसम बदलते ही सर्दी जुकाम जैसी परेशानी होती है तो  ये एंटीबैक्टीरियल drink  का इस्तेमाल  कर सकते है। तो क्या है ये एंटीबैक्टीरियल ड्रिंक : अदरक, प्याज़ और लहसुन  जी हाँ हर घर में पाए जाने वाले ये तीन पदार्थ इनको मिला कर ही  बनती है एंटीबैक्टीरियल ड्रिंक कैसे काम करते है अदरक, प्याज और लहसुन लहसुन में मौजूद कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं  , लहसुन में ...

अपने Immune System को सिर्फ 30 सेकंड में Recover कीजिये इस आसान सी विधि से!!!!

अगर इंसान की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमज़ोर हो तो उसको हर रोग बड़ी आसानी से घेर लेता है, ज्यादा नहीं तो सुबह उठते ही छींके आना तो आम बात है, हर दुसरे दिन जुकाम लग जाना खांसी हो जाना, थोडा सा मौसम बदलते ही बुखार का हो जाना ये सभी कमज़ोर Immune system के कारण होता है. आज हम एक ऐसी विधि बताने जा रहें हैं, जिस से आप अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति को सिर्फ 30 सेकंड में बढ़ा सकते हैं, और ये है भी बहुत सरल और आसान. तो आइये जाने. Russian Doctor Sergei bubnovkiy के अनुसार हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति को हम चमत्कारी रूप से बढ़ा सकते हैं सिर्फ 30 सेकंड से 5 मिनट तक अपने पैरो को ठन्डे पानी में डालकर. उन्होंने ये भी कहा के इस तरीके से आप सर्दी और फ्लू जैसी अनेक बिमारियों से बच सकते हो. इसके लिए आप एक बर्तन लीजिये, इसमें ठंडा पानी डालिए और इसमें जितनी हो सके उतनी बर्फ डालिए, जितनी ज्यादा बर्फ होगी उतना ही अधिक प्रभावी ये होगा. इसके बाद आप अपने पैरों को इसमें डाल दीजिये, ऐसा आप 30 सेकंड से 5 मिनट तक कीजिये. और ऐसा आप रात को सोते समय हर रोज़ ही कीजिये. अगर आपका रोग प्रतिरोधक सिस्टम बहुत ज्यादा ही कमज़ोर हो तो आप इस...

शरीर को कर लो Alkaline हार्ट कैंसर किडनी थाइरोइड शुगर आर्थराइटिस सोरायसिस भी पास नहीं फटकेगा.

आपके शरीर के सभी रोग स्वतः ही समाप्त हो जाए, जैसे डायबिटीज, कैंसर, हार्ट, ब्लड प्रेशर, जोड़ों का दर्द, UTI – पेशाब के रोग, Osteoporosis, सोरायसिस, यूरिक एसिड का बढ़ना, गठिया – Gout, थाइरोइड, गैस, बदहजमी, दस्त, हैजा, थकान, किडनी के रोग, पेशाब सम्बंधित रोग, पत्थरी और अन्य कई प्रकार के जटिल रोग. इन सबको सही करने का सबसे सही और सस्ता उपयोग है शरीर को एल्कलाइन कर लेना Ph level kya hai – पी एच लेवल क्या है? इसको समझने के लिए सबसे पहले आपको PH को समझना होगा, हमारे शरीर में अलग अलग तरह के द्रव्य पाए जाते हैं, उन सबकी PH अलग अलग होती है, हमारे शरीर की सामान्य Ph 7.35 से 7.41 तक होती है, PH पैमाने में PH 1 से 14 तक होती है, 7 PH न्यूट्रल मानी जाती है, यानी ना एसिडिक और ना ही एल्कलाइन. 7 से 1 की तरफ ये जाती है तो समझो एसिडिटी बढ़ रही है, और 7 से 14 की तरफ जाएगी तो Alkalinity क्षारीयता बढ़ रही है. अगर हम अपने शरीर के अन्दर पाए जाने वाले विभिन्न द्रव्यों की PH को Alkaline की तरफ लेकर जाते हैं. तो हम बहुत सारी बीमारियों के मूल कारण को हटा सकते हैं, और उनको हमेशा के लिए Cure कर सकते हैं। cancer an...

निम्बू के छिलके में ऐसे गुण हैं अगर इनको जान लोगे तो दोबारा इनको फेंकने की गलती नहीं करोगे

निम्बू के वैसे तो अनेक गुण और औषधीय प्रयोग है, मगर इन प्रयोगों में हम एक चीज इसकी भूल जाते हैं और उसको Waste समझ कर फेंक देते हैं, वो है इसका छिलका, और हमने आपको फलों के छिलकों में मिलने वाले गुण पहले भी बताये थे, आज हम इसी कड़ी में आपको बताने जा रहें हैं निम्बू के छिलके के गुण और इसके प्रयोग करने की सही विधि जिस से आपको इसके वो गुण और फायदे मिले जिनके लिए लोग लाखों रुपैये खर्च कर देते हैं. तो आइये जानते हैं के अगर निम्बू को छिलके सहित खाएं तो क्या फायदे होंगे. पहले तो ये बता दें के फ्रीज़ सिर्फ इसीलिए करवा रहें हैं के आप निम्बू को छिलके सहित अच्छे से इस्तेमाल कर सकें, बस बात ये है के आपको छिलके सहित इस्तेमाल करना है, हमको ये विधि अच्छी लगी तो आपसे शेयर कर रहें हैं अगर आपके पास कोई दूसरा तरीका हो तो हमको बताइयेगा, हम वो भी यहाँ लिख देंगे. निम्बू का छिलका fiber,  potassium , magnesium,  calcium , folate, और beta carotene का बहुत बड़ा स्त्रोत है. निम्बू का छिलका हमारी हड्डियों को मज़बूत करता है, इसमें काफी मात्रा में कैल्शियम और  vitamin C  पाया जाता   है, निम्ब...